सोमवार, 1 जून 2020

रेत पर लिखा hai कुछ

जीवन के छोटे से सफर में
तुम्हारा हाथ थामें चलती रही हूँ ,
जीवन सागर के किनारे किनारे,
तुम्हारे प्यार में हँसती रही हूँ,
न थकी कभी, न रूकी कहीं,
उथली लहरों के सहारे,
तुम मन में बसते हो मेरे,
मेरी आँखों के तारे,
कल मैं रहूँ या न रहूँ,
तुमसे कुछ कहूँ या न कहूँ,
मैं माँ हूँ तुम्हारी, इसलिए,
इसे कर लेना आत्मसात,
मैं हमेशा रहूंगी तुमहारे साथ,
पत्थरों पर निशान नहीं उकेरे मैंने,
 तुम्हारे लिए मैंने रेत पर लिखा था कुछ,
इससे पहले कि समय मिटा दे उसे
पढना जरूर,
मैंने किन संघर्षो से पाला तुम्हें,
जानना जरूर। 

रविवार, 19 अप्रैल 2020

Samajh

कुछ पुरानी तस्वीरे तुम्हारे बचपन की यादें ले आई ,
समय बीत गया ,पर मेरे लिए तुम आज भी इतने ही छोटे हो,
एक माँ की नज़रों में बच्चे सिर्फ लंबे होते हैं , बड़े कभी नहीं होते,
बड़ा आश्चर्य होता है , जब कहते हो कि तुम नहीं समझती हो मुझे ,
मैं तो तब भी समझ जाती थी, जब तुम बोलना भी नहीं जानते थे,